अमेरिका कैसे जिम्मेदार है अफ़ग़ानिस्तान मे आतन्कवाद के लिए ? | How america is responsible for Terrorism in Afghanistan in Hindi ?

सार

अफगानिस्तान के हालात इस वक्त काफी ख़राब चल रहे है ,जिसका सबसे बड़ा जिम्मेदार कही न कही अमेरिका है |आज हम यह जानेंगे की इसका जिम्मेदार अमेरिका कैसे है |

अफ़ग़ानिस्तान पहाड़ीयो से घिरा हुआ देश है| इसके दक्षिण मे पकिस्तान,पच्क्षिम मे इरान,और उत्तर में तुर्कमेनिस्तान,उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान है,तथा उत्तर पूर्व में चीन है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल है,काबुल की अनुमानित आबादी 4•6 बिलियन है,इसमे सबसे ज्यादा लोग ताजिया,हजारस और उज्बेकी लोग है|

मुख्य बिंदु 

1.अफगानिस्तान को साम्राज्यों की कब्रगाह क्यों कहा जाता है ?
2.अमेरिका की सबसे बड़ी गलती |

अफगानिस्तान को साम्राज्यों का कब्रगाह क्यों कहा जाता है ???

अफगानिस्तान पर बहुत सारी विदेशी शक्तियों ने कब्ज़ा करना चाहा परन्तु या तो वह असफल हुए या उनका विनाश हो गया , कहा तो यह भी जाता है की सिकंदर ने भी अफगानिस्तान मे ३ महीने तक लड़ाई की तब उनकी माँ ने उनसे पूछा तुमने इतने बड़े बड़े देशों को जीता है परन्तु इतने छोटे से देश को जितने मे इतना समय लगा रहे हो तब सिकंदर ने अफगानिस्तान की मिट्टी को पैगाम के रूप मे अपने माँ को भेजा और कहा की इस मिटटी को सभी लोगो के घर के बाहर छिट देना ,जैसे ही उनकी माँ ने ऐसा किया पुरे गाव मे झगडा शुरु गया हो | 
24 Dec 1979 से 15 feb 1989 तक सोवियत संघ ने अफगानिस्तान मे मुजाहिद्दीन नामक एक समूह से युद्ध किया परन्तु इसमें सोवियत संघ के बहुत सारे सैनिक मारे गये तथा सोवियत संघ के बहुत सारे पैसे भी बर्बाद हुए ,अंत मे सोवियत संघ को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और यही सोवियत संघ के पतन का कारण बना |
Soldiers in 1980 in Gardez a month after USSR invaded

अमेरिका ने भी अफगानिस्तान मे तालिबान नामक संगठन से 1999 से 2021 तक युद्ध लड़ा तथा इस युद्ध मे  20,000 अमेरिकी सैनिक घायल हुए तथा अफ़गान और अमेरिकी दोनों सैनिको को मिला कर 3500 सैनिक मारे गए जिसमे २ तिहाई सैनिक अमेरिका के थे | ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार अमेरिका ने २००१ से अब तक 2.29 trillion डॉलर खर्च किये है ,परन्तु 2021 मे अमेरिका भी हार कर चला गया | तथा अब तालिबान ने एक बार फिर पुरे अफगानिस्तान पर अपना कब्ज़ा कर लिया है |
Taliban fighters in Afghanistan's presidential palace

अमेरिका की सबसे बड़ी गलती 

1978 मे जब अफगानिस्तान के President नूर मोहम्मद तर्रिकी बने तब सोवियत संघ और अमेरिका के मध्य शीत युद्ध चल रहा था अमेरिका और सोवियत दोनों देश ज्यादा से ज्यादा देशो को अपनी तरफ करने मे लगे हुए थे इसी सिलसिले मे सोवियत संघ ने अफगानिस्तान के president को अपने साथ जोड़ लिया ,जिसके कारण अफगानिस्तान मे नवीनीकरण शुरू हुआ चुकी सोवियत संघ किसी धर्म को नहीं मानता था इसी कारण इसका प्रभाव अफगानिस्तान पर भी दिखा, वहा की महिलाओ की शिक्षा को भीं प्रारम्भ कर दिया गया तथा वहा की सरकार ने महिलाओ को कहा की आप बुरखा के अलावा साधारण कपडे भी पहन सकती है, इसके अलावा अफगानिस्तान मे अस्पताल ,कारखाने ,बार भी खुलने लगे |अफ्गानिस्तान की सरकार ने जिसके पास ज्यादा जमीन थी उससे जमीन लेकर गरीबो को बाट दिया, अफगानिस्तान मे ज्यादातर जनसँख्या मुसल्मानो की थी इसके कारण इसका विरोध होने लगा लोग कहने लगे की शराब के सेवन से हमारा धर्म भ्रस्ट होगा और जमीन ऊपर वाला देता है ऊपर वाला ही  किसीको अमीर या गरीब पैदा करता है । अफगानिस्तान मे विद्रोह का माहौल था , इस बात का फायदा अमेरिका ने उठाया उसने लोगो को यह कहकर भड़काया की तुम्हारा मजहब खतरे में है,जिसके कारण वहा एक संगठन का निर्माण हुआ जिसे मुजाहिद्दीन कहा जाता है ।मुजाहिदीन को हथियार अमेरिका पाकिस्तान के सहारे प्रदान कराता था , मुजाहिद्दीन और सोवियत के मध्य युद्ध शुरु हो गया यह युद्ध बहुत लंबा चला इसी बीच जब मुजाहिद्दीन के सैनिक कम पड़ने लगे तब अमेरिका ने अफगानिस्तान के विद्यार्थियों को भड़काना शुरु किया और उन्हें हथियार दिए ,अफगानिस्तान में विद्यार्थियों को तालिब कहा जाता है इन्ही विद्यार्थियों के समूह ने मिलकर तालिबान का निर्माण किया ,इसका leader उमर बना।धीरे धीरे तालिबान और मजबूत होने लगा तथा जब सोवियत की हार हुई तब तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। वही बाद में जब तालिबान ने अमेरिका के आदेशों को मानना बंद किया तब अमेरिका ने अपनी फौज अफगानिस्तान मे भेजा |
कुल मिलाकर अमेरिका ने ही इन आतंकी संगठनों का अपने फायदे के लिए निर्माण किया तथा जब यह अमेरिका के काबू के बाहर हो गए तब इनसे युद्ध किया,तथा उस युद्ध मे बुरी तरह हार कर अपने देश चले गए।
American force leaving Afghanistan



एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने